Saturday, March 14, 2009

ZAROORAT



ज़रूरत


इतना तनहा हूँ सहारे की ज़रूरत न रही

बीच धारे में हूँ किनारे की ज़रूरत न रही

इस कदर खामोशी रास आ गई है हमें

अब कोई भी पुकारे ये ज़रूरत न रही

इस तरह टुकरो में बँट गई है तकदीर अपनी

अब कोई इसे सँवारे ये ज़रूरत न रही

जो मेरे पास था सब बाँट दिया दुनिया को

अब 'हमारे या तुम्हारे' की ज़रूरत न रही

चाँद,तारे हो या हो फूलों का चमन

अब किसी भी सहारे की ज़रूरत न रही

ZAROORAT

ITNA TANHA HUN SAHARE KI ZARURAT NA RAHI

BEECH DHARE MEIN HUN KINARE KI ZARURAT NA RAHI

IS KADAR KHAMOSHI RAS AA GAI HAI HAME

AB KOI BHI PUKARE YE ZARURAT NA RAHI

IS TARAH TUKRO MEIN BAT GAYI TAQDEER APNI

AB KOI ISE SANWARE YE ZARURAT NA RAHI

JO MERE PAAS THA SAB BANT DIYA DUNIYA KO

AB 'HAMARE YA TUMHARE' KI ZARURAT NA RAHI

CHAND,TAARE HO YA HO PHOOLON KA CHAMAN

AB KISI BHI SAHARE KI ZAROORAT NA RAHI


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