Friday, December 2, 2011

Main kaun hoon?

मैं साहिल पे लिखी हुई इबादत नहीं
जो लहरों से मिट जाती है
मैं बारिश कि बरसती बूंद नहीं
जो बरस कर थम जाती है
मैं ख्वाब नहीं,
जिसे देखा और भुला दिया
मैं चांद भी नहीं,
जो रात के बाद ढल गया
मैं हवा का वो झोंका भी नहीं,
के आया और गुजर गया
मैं तो वो अहसास हूं ,
जो तुझमे लहू बनकर गरदिश करे
मैं वो रंग हू
जो तेरे दिल पर चढे
ओर कभी ना उतरे
मे वो गीत हूं ,
जो तेरे लबो से जुदा ना हो
ख्वाब, इबादत, हवा कि तरह ...
चांद, बुंद, शमा कि तरह
मेरे मिटने का सवाल नहीं..

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