Wednesday, January 7, 2009

Aarzoo kya hai




आरजू क्या है

येः आईने से अकेले में गुफ्तगू क्या है
जो मैं नहीं तो फिर यह तेरे रूबरू क्या है

इसी उम्मीद पे काटी है ज़िन्दगी मैंने
वोः काश पूछते मुझसे के आरज़ू क्या है
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आये थे तुम हमारे दिल में बसने के लिए
हमें ही उजाड़ कर चल दिए

जब दिल ने हमसे किये सवाल
तोः हम ख़ुद पर मुस्कुरा कर चल दिए।
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ग़ज़ल

"दिल" का दर्द जब पन्नो पर जाता है

"एक" आंसू भी दरिया बन जाता है

"दिल" के टूटने की "आवाज़" भी नही और

सारा दर्द "ग़ज़ल" बन जाता है.
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कब कौन किसी का होता है

कब कौन किसी का होता है
सब झूटे रिश्ते नाते हैं...

सब दिल रखने की बातें हैं
सब असल रूप छुपाते हैं...

इखलाक से खाली लोग यहाँ
लफ्जों के तीर चलाते हैं...

एक बार निगाहों में आकर
फिर सारी उमर रुलाते हैं...

वो जिस ने दिए हैं अश्क हमें
अब उस को भूल ही जाते हैं...
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उन्हे तो फुर्सत नहीं है मिलने की हमसे,

और हमारा वक्त गुजरता है उनसे फरियाद करके..

अगर आए 'वोह' मेरी मौत पे,

तो कह देना अभी अभी सोये हैं तुम्हे याद करके.
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कहानी

वक्त ने सारी कहानी ही बदल डाली,

प्यार का नाम जो आता है तो डर लगता है,

ज़ख्म कुछ ऐसे भी अपनों ने दिये है मुझको,

अब कोई हाथ मिलाता है तो डर लगता है,
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एक वादा

A boy and a girl loved each other,
Unfortunately the boy died. . . .

After death he said to the girl



"एक वादा था तेरा हर वादे के पीछे,
तू मिलेगी मुझे हर दरवाज़े के पीछे,
पर तू मुझे रुसवा कर गई,
एक तू ही थी मेरे जनाजे के पीछे".



इतने में लड़की की आवाज़ आई,
She said . . . . .



एक वादा था मेरा हर वादे के पीछे,
मैं मिलूंगी तुझे हर दरवाज़े के पीछे,
पर तुने ही मूड़ के देखा,
एक और जनाज़ा था तेरे जनाज़े के पीछे......
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